*चाक्यूसैण बाल लेखन कार्यशाला
का तीसरा दिन, हस्तलिखित पुस्तक के लिए बच्चों ने बनाया मुखपृष्ठ*
हस्तलिखित पुस्तक के लिए
बच्चों ने बनाया मुखपृष्ठ
नुक्कड नाटक ‘मोबाइल टन टनाटन टन’ तथा ‘कुदरत का विज्ञान’ के लिए बच्चों ने स्वयं तैयार किए डायलॉग
द्वारीखाल (पौड़ी)। बालसाहित्य संस्थान अल्मोड़ा द्वारा उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के सहयोग से आयोजित 5 दिवसीय बाल लेखन कार्यशाला के तीसरे दिन की शुरूआत ‘पेड़ हैं सांसें’ विज्ञान गीत से हुई।
प्रधानाचार्य जगमोहन सिंह बिष्ट ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि हमें अपने कार्य को बोझ न समझकर रुचि के साथ करना चाहिए।
कहानी सत्र में बच्चों ने कछुवा और खरगोश की कहानी को अपने-अपने अंदाज में सुनाया। बालप्रहरी संपादक उदय किरौला ने बच्चों को एक कहानी सुनाई। जो वास्तव में कहानी नहीं थी। कहानी को सुनकर बच्चों ने बताया कि इस कहानी में न तो कोई शिक्षा है, न ही कहानी में मजा आया। बच्चों ने अपनी भाषा में बताया कि कहानी में घटना, पात्र, संवाद व देशकाल परिस्थिति जैसा कुछ नहीं हैं। बाद में बच्चों ने समूह में मिलकर एक कहानी तैयार की। अधूरी कहानी पूरी करो व चित्र देखकर कहानी लिखो आदि गतिविधियां कराई गई। बालप्रहरी संपादक एवं बालसाहित्य संस्थान अल्मोड़ा के सचिव उदय किरौला ने बच्चों को ‘घुंघरूं वाला भूत’ कहानी सुनाई। कहानी के माध्यम से बच्चों को क्या क्यों तथा कैसे जैसी वैज्ञानिक चेतना जाग्रत करने की पहल की गई।
नुक्कड़ नाटक समूह में चयनित बच्चों को 10 मिनट में एक नाटक स्वयं तैयार करके लाने को कहा गया। बच्चों ने नुक्कड़ नाटक की तैयारी की। बच्चों ने “मोबाइल टन टनाटन टन” तथा ‘कुदरत का विज्ञान’ के लिए अपने संवाद स्वयं तैयार किए।
आज बच्चों के समूह बनाकर कार्य कराया गया। आबिद अहमद व राकेश तिवाड़ी ने समूह गीत, पंकज सिंह रावत व विवेक डबराल ने नुक्कड नाटक तथा उदय किरौला ने बाल कवि सम्मेलन समूह में संदर्भदाता बतौर बच्चों का मार्गदर्शन किया।
आज बच्चों को तोता कहता है, जैसा में कहूं, कितने भाई कितने, कितना बड़ा पहाड़, पिज्जा हट खेल कराए गए।
आज बच्चों ने अपनी हस्तलिखित पुस्तक के लिए रंगीन मुखपृष्ठ तैयार किया। पत्र लेखन विधा के माध्यम से बच्चों ने अपने पारिवारिक जनों को पत्र लिखकर कार्यशाला की जानकारी दी। बच्चों ने समूह में दीवार पत्रिका भी तैयार की। विभिन्न प्रतियोगिताओं में पावनी बिष्ट, उज्जवल, प्रिंस, साक्षी, अदिति, प्रियांशी, अनुराग, खुशी,वंदना, अभिनव, आदि ने पुरस्कार प्राप्त किए। बच्चों द्वारा आज बनाए गए दीवार पत्रिका का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया।
राजकीय इंटर कालेज चाक्यूसैण के वरिष्ठ शिक्षक विवेक डबराल ने कहा कि बच्चों के अंदर छिपी प्रतिभा को निखारने व उन्हें अभिव्यक्ति का अवसर देने व उनके मन में वैज्ञानिक सोच जाग्रत करने के लिए ये कार्यशाला उपयोगी है। उन्होंने कहा कि हमारे गांव में आज भी भूत पूजा आदि कई अंधविश्वास व्याप्त हैं। इसलिए जरूरी है कि बच्चों को बचपन से ही वैज्ञानिक सोच से जोड़ा जाए। कार्यशाला का समापन 8 मार्च को होगा।