न पैर न हाथ न मुह न दांत , चौड़ा चेहरा करे सभी की बात.
अखबार
बाप से बेटा गोरा ,बाँट कर खाएं थोड़ा-थोड़ा
नारियल
एक गाँव में आग लगा ,उसी गाँव में कुआँ , पत्ती सब जल गये उठता है धुँआ
हुक्का
फुल खिलता है रंग-बिरंगी ., फल फलता है ,लम्बी डोर
मुनगा
कत्था सुपारी बंगला के पान , नारी पुरुष के 22 कान
रावण और उसकी पत्नी
लोहा जैसे पेंड़ सोना जैसे फुल , चाँदी जैसे फल दीखता बहुत है कूल
बबुल का पेड़ ,फुल ,फल
रे रंग की भाजी न सब्जी में न दाल में , खाने पर बड़ा स्वाद में
पान
कलकता की छोकरी ,पीछे में उसकी मोटरी
मकड़ी
पिता बेटा का एक ही नाम ,पोता का नाम कुछ और
आम
एक चिड़िया ऐसा ,पूंछ में दो पैसा
मयूर