चीनी राष्ट्रपति के रूस दौरे से भारत पर असर? चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की रूस यात्रा खत्म हो गई लेकिन पश्चिमी देशों और भारत में इस यात्रा को लेकर नये सिरे से विश्लेषण शुरू हो गया है. रूस और चीन की दोस्ती से यूरोप, अमेरिका और भारत पर क्या असर पड़ेगा, इस पर मंथन आरंभ हो गया है. शी जिनपिंग ने कहा कि दोनों देशों की दोस्ती से पश्चिमी देशों को करारा जवाब दिया जा सकेगा.

तो वहीं शी जिनपिंग ने व्लादिमीर पुतिन को चीन आने का भी न्योता दिया.20 से 23 मार्च तक शी जिनपिंग की इस तीन दिवसीय यात्रा के दौरान दोनों देशों ने जिस तरह की साझेदारी और मित्रता की बातें की है, उसके संकेत साफ हैं कि दोनों देश मिलकर दुनिया में एक नई दिशा तय करने वाले हैं.
भारत पर असर
गौरतलब है कि आज के हालात में दोनों देशों को एक-दूसरे की जरूरत है और इसी बहाने अपने प्रतिस्पर्धी देशों को संदेश भी देना चाहते हैं.पांच प्रमुख विंदुओं के जरिए इसे समझने की कोशिश करते हैं कि शी जिनपिंग की तीन दिवसीय रूस यात्रा और राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात को पश्चिमी देशों और खासतौर पर भारत (India) पर क्या असर हो सकता है.
भारत को किस लिहाज से सतर्क रहना चाहिए?
भारत में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने भी एक ट्वीट में कहा है कि शी जिनपिंग की रूस यात्रा को लेकर जो तरह-तरह के दावे और विश्लेषण किए जा रहे हैं, वे सही नहीं हैं. शी जिनपिंग की हालिया रूस यात्रा से भारत-रूस के रणनीतिक संबंधों पर किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचेगा.