india china border news : लद्दाख में तनाव घटने के संकेत, भारत-चीन ( india china border news )जल्द करेंगे 17वें दौर की वार्ता। भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में तनाव दूर करने के लिए शेष मुद्दों के समाधान के लिए वरिष्ठ कमांडरों की 17वें दौर की बैठक जल्दी से जल्दी आयोजित करने पर सहमति जताई है। दोनों देशों के बीच परामर्श एवं समन्वय को लेकर बने समूह डब्ल्यूएमसीसी की शुक्रवार को हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि डब्ल्यूएमसीसी की बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) ने किया था। चीनी विदेश मंत्रालय के सीमा और समुद्री विभाग के महानिदेशक ने चीनी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। इस दौरान दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी पर स्थिति की समीक्षा की।
मई 2022 में डब्ल्यूएमसीसी की बैठक के बाद के घटनाक्रम को याद करते हुए गोगरा-हाटस्प्रिंग से दोनों देशों द्वारा चरणबद्ध तरीके से सेनाओं की वापसी का स्वागत किया गया।
बैठक में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बाकी बचे मुद्दों के जल्द से जल्द समाधान किए जाने पर जोर दिया गया ताकि दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंध सामान्य अवस्था में लौट सकें। विदेश मंत्रालय ने यहां बताया कि बैठक में भारतीय पक्ष का नेतृत्व मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पूर्व एशिया) डॉ. शल्पिक अंबुले और चीनी पक्ष का नेतृत्व चीनी विदेश मंत्रालय में सीमा एवं महासागरीय विभाग के महानिदेशक होंग लियांग ने किया।

पाकिस्तानी विदेशमंत्री विलावल तथा उसके समकक्ष जर्मन प्रतिनिधि की कश्मीर पर टिप्पणी को लेकर भारत ने इसे अपरोक्ष रूप से आतंकवाद के समर्थन से जोड़ा-
India china border news update
दोनों पक्षों ने एलएसी पर बाकी मुद्दों के शीघ्रातिशीघ्र समाधान के लिए कूटनीतिक एवं सैन्य स्तर पर बातचीत जारी रखने पर सहमति जताई ताकि द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाया जा सके। इसी संदर्भ में दोनों पक्षों ने सीनियर कमांडर स्तर की 17वीं बैठक को भी जल्द से जल्द बुलाने पर सहमति जताई। वहीं वैश्विक स्तर पर रूस यूक्रेन जंग के बाद भारत द्वारा रूस के समर्थन से यूरोपीय संघ तथा अमेरिका भारत के खिलाफ कूटनीतिक लिहाज से कश्मीर के मुद्दे पर भारत को घेरने की रणनीति बना रहे हैं- अलग खबर ब्यूरो।
विगत दिनों पाकिस्तानी विदेशमंत्री विलावल भुट्टो तथा उसके समकक्ष जर्मनी के प्रतिनिधि ने संयुक्त वक्तव्य में कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र संघ के संदर्भ मे और कश्मीर समस्या के शांतिपूर्ण हल को लेकर बयान दिया था जिसका भारत ने नपे तुले शब्दों मे इसे आतंकवाद को समर्थन के रूप मे दिया गया बयान बताया था।
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