स्वर्गीय भगवती प्रसाद जोशी ‘हिमवंतवासी’ जी की छियानबे वीं पुण्यतिथि पर उनके पुत्र जागेश्वर जोशी जी द्वारा उनके गृह नगर दुगड्डा में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया.
कार्यक्रम का शुभारम्भ संचालिका रिद्धि भट्ट ने स्व जोशी जी द्वारा लिखित सरस्वती वंदना कि हे शारदे माँ यु वर देण चैन्दा, अज्ञान तमजाळ हर लेणु चैन्दा से किया.
तथा उनके पौत्र डॉ तरुण जोशी ने आमंत्रित अतिथियों का स्वागत किया.वक्ताओं में जागेश्वर जोशी जी द्वारा उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला गया, श्री जगमोहन बिष्ट ने उनके कथा संग्रह ‘ एक ढांगा की आत्मकथा का विश्लेषण किया गया,
डॉ शोभा रावत विभागाध्यक्ष हिंदी रा स्ना महाविद्यालय कोटद्वार द्वारा उनके प्रकाशित खंडकाव्य सीता बणवास की समीक्षा की गयी. डॉ जगदम्बा कोटनाला द्वारा उनके गढ़वाली काव्य की समलोचना प्रस्तुत की गयी.
कार्यक्रम में स्व जोशी जी के पारिवारिक सदस्यों ने अपने संस्मरण सुनाकर कार्यक्रम को भावुकता से भर दिया. साहित्यकार एवं भाषाविद डॉ नन्द किशोर धौंडियाल ने उनके सम्पूर्ण साहित्य पर अपने विचार रखे और उन्हें एक उच्च कोटि का साहित्यकार बताया. तथा उनके लिखित अप्रकाशित साहित्य पर कार्य करने की आवश्यकता बताई. कार्यक्रम में स्व जोशी जी के पुत्री दामाद प्रभा काला-दिवाकर काला तथा मीना- अनिल डबराल ने भी अपने संस्मरण सुनाए.उनकी पुत्रवधू श्रीमती बीना जोशी ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया तथा कहा कि अपने पित्रों को यही श्राद्ध व सच्ची श्रद्धांजलि है.गोष्ठी में स्वामीराम संस्थान तोली सतपुली के प्राचार्य अरुण चंद्र पांथरी, डॉ अंजू पांथरी, आशीष बौठियाल, गढ़वाल के प्रथम बार एट लॉ श्री रामचंद्र कुकरेती के प्रपौत्र समाज सेवी प्रवीण कुकरेती,ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट श्री आर कुकरेती जी, आदि उपस्थित थे।