शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान चढ़ीगांव पौड़ी गढ़वाल में नवनियुक्त शिक्षकों को दो दिवसीय प्रशिक्षण दिनांक 20.01.2023 से 24.01.2023 तक दिया गया. इस प्रशिक्षण में कार्यक्रम समन्वयक श्री जगमोहन कठैत विभागाध्यक्ष शोध एवं मूल्यांकन श्री विमल ममगाई तथा मास्टर ट्रेनर ड्रीम टू ड्रीम से सिमरन कौर ने प्रशिक्षण प्रारंभ किया।
इस प्रशिक्षण में कुल 85 शिक्षकों ने प्रतिभाग किया। दो दिवसीय प्रशिक्षण को चार सत्रों में बांटा गया, प्रत्येक दिवस में दो सत्रों को जलाया गया। पहले सत्र में सभी ब्लॉकों से आए नवनियुक्त शिक्षकों द्वारा परिचय दिया गया तथा उनके जीवन की रोचक तथा यादगार घटनाओं के बारे में पूछा गया। फिर आनंदम पाठ्यचर्या की जानकारी दी गई, साथ ही सभी शिक्षकों से प्री ट्रेनिंग फार्म भरवाया गया। इस सत्र में आनन्दम पाठ्यचर्या में शामिल किए गए मूल्यों, इनके आउटकम, आनंदम पाठ्यचर्या में ध्यान देने की प्रक्रिया,कहानी, गतिविधि, अभिव्यक्ति, के बारे में बताया गया और दूसरे सत्र में पहली से दूसरी कक्षा में पहले वादनों घटक तथा तीसरी से आठवीं कक्षा तक के पहले वादन के घटकों के बारे में बताया गया।फिर किस प्रकार घटकों का प्रयोग कक्षा में करना है, इस प्रक्रिया को किया गया। सबसे पहले माइंडफुलनेस जिसमें सभी को सजग रहने की अवस्था में ध्यान केंद्रित अवस्था में रहने को कहा गया, जिसमें हम अपने रिएक्शन या प्रतिक्रिया को जरूर बदल सकते हैं।
माइंडफुलनेस ध्यान देने की प्रक्रिया में सांस पर ध्यान देना, ध्यान देकर सुनना, विचारों पर ध्यान देना, शरीर के खिंचाव पर ध्यान देना, ध्यान देने की प्रक्रिया के बाद पाठ्यचर्या का दूसरा घटक को किया गया। जिसमें आनंदम कहानी सुनाई गई तथा कहानी से जुड़े हुए प्रश्न अभिव्यक्ति के दिन के लिए दिए गए आनंदम की कहानियों में दिए गए चर्चा चिंतन के प्रश्नों के माध्यम से कहानियों के उद्देश्य तक ले जाया गया। आनंदम पाठ्यचर्या का तीसरा घटक गतिविधि रहा, गतिविधि का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को तर्कशील बनाना है। गतिविधि के रूप में सभी शिक्षकों के ग्रुप बनाए गए, जिसमें मास्टर ट्रेनर द्वारा कुछ प्रचियां बनाई गई। जिसमे कुछ संवेग और भाव लिखे हुए थे। जिसपर सभी ग्रुप के शिक्षकों को बिना बोले एक्ट करना था। जिसे बाकी शिक्षकों ने बताना था कि कौन सा संवेग और भाव है। इस प्रकार विद्यार्थियों को निष्कर्षों तक पहुंचने का पूरा अवसर दें। उन्हे अंतिम निर्णय के रूप में निष्कर्ष न सुनाएं।
आनंदम पाठ्यचर्या का चतुर्थ घटक अभिव्यक्ति है। हमारी खुशी का संसार एक दूसरे के प्रति भावों के साथ होने और विभिन्न माध्यमों व तरीकों से उन्हें व्यक्त करने से ही जुड़ा हुआ है, अतः एक व्यक्ति के समुचित विकास और खुशहाल जीवन के लिए भावों की अविभ्यक्ति अति आवश्यक है। एक दूसरे के खुशहाल जीवन के लिए हम जो भागीदारी करते हैं यही एक दूसरे के जीवन में हमारा मूल्य है। आनंदम पाठ्यचर्या का ये घटक कक्षा 3 से कक्षा 8 तक विद्यार्थियों के लिए शनिवार को रखा गया है, जिसमें विद्यार्थियों अपने संबंधो में क्या देखते हैं, क्या व्यवहार करते हैं, क्या जिम्मेदारी निभाते हैं, क्या महसूस करते हैं, इन संबंधों में विचारों को सहजता से अभिव्यक्त करते हैं।
