कोटद्वार, अलग खबर। कोटद्वार: हंगामें की भेंट चढ़ी कोटद्वार नगर निगम की बोर्ड बैठक, महत्वपूर्ण फैसलों की जगह जलपान तक रही सीमित. विगत दिवस देर रात तक चली कोटद्वार नगर निगम की बोर्ड बैठक बेनतीजा रही, कोटद्वार नगर निगम के कुछ पार्षदों ने बैठक में अपनी मांगो को लेकर खूब हो हल्ला मचाया, पार्षदों ने इस बात पर रोष व्यक्त किया कि पार्षदों के प्रस्ताव पर निगम अनदेखी करता है और प्रस्ताव पर कार्य नहीं होता है।
निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ पार्षदों ने मुखर होकर आवाज उठाई, निर्माण कार्यों पर एनओसी अनापत्ति प्रमाण पत्र लिए जाने की मांग पर पार्षद अडे रहे।
पार्षदों के सवालों का नगर आयुक्त ने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया देर शाम तक चली बैठक में हंगामा रहा। बैठक के मुख्य एजेंडे पर शाम 7:00 बजे बाद कार्यवाही शुरू हुई।
बैठक में पीआरडी कर्मचारी सफाई कर्मचारियों के विषय में चर्चा हुई और सर्वसम्मति से तय हुआ कि पूर्व की भांति कर्मचारी यथावत रहेंगे आउटसोर्सिंग व्यवस्था को समाप्त करने की बात की।
कुछ पार्षदों की हठधर्मिता के कारण बैठक नियमानुसार सुचारू रूप से नहीं हो पाई अन्य पार्षदों को बोलने का मौका नहीं मिला अंत में नगर आयुक्त से बहस के होने के कारण नगर आयुक्त बैठक छोड़कर चले गए।
कुछ पार्षद भी बैठक नियमानुसार ना होने वह समय अधिक होने के कारण बैठक से चले गए थे। आज की बैठक में मुझे इस बात का खेद है कि उत्तराखंड मे घटित अंकिता हत्याकांड पर ना तो स्वर्गीय अंकिता को श्रद्धांजलि दी गई, और ना ही किसी ने इस विषय पर चर्चा की जबकि पूरे उत्तराखंड में विधानसभा से लेकर जिला पंचायत तक श्रद्धांजलि सभाएं की जा रही है।
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बैठक जलपान तक सीमित रही। बैठक में कूड़ा निस्तारण शुल्क पर चर्चा हुई कुछ पार्षदों ने शुल्क न देने की बात कही जबकि नगर आयुक्त शुल्क लेने के पक्ष में दिखे।
कुल मिलाकर बोर्ड बैठक सब्जी मंडी जैसी तब्दील हो गई। कुल मिलाकर कोटद्वार नगर के हित में होने वाले सबसे महत्वपूर्ण फैसले सड़कों पर अतिक्रमण, सफाई व्यवस्था तथा कुछ वार्डों में पथ प्रदर्शक प्रकाश व्यवस्था जैंसे महत्वपूर्ण मुद्दे उठाने की जेहमत ना कोटद्वार हंगामें की भेंट चढ़ी कोटद्वार नगर निगम की बोर्ड बैठक, महत्वपूर्ण फैसलों की जगह जलपान तक रही सीमित नगर निगम प्रशासन और ना ही पार्षदों के एजेंडे मे रहा।
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