हिन्दी,प्रेम , मिलन व सौहार्द की भाषा है-रीना सिंह
भारत सहित पूरे विश्व मे साठ करोड़ से अधिक लोग हिन्दी बोलते हैं
रवीश पाण्डेय
जन संघ सेवक मंच की राष्ट्रीय अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेत्री आयरन लेडी रीना सिंह ने आज हिन्दी दिवस पर एक प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि हिन्दी प्रेम,सौहार्द व मिलन की भाषा है।दुनिया मे सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में हिन्दी का दूसरा स्थान है।
विश्व की दूसरी सबसे बड़ी भाषा है हिन्दी। चीनी भाषा के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। भारत और अन्य देशों में 60 करोड़ से अधिक लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं।
इतना ही नहीं फ़िजी, मॉरीशस, गुयाना, सूरीनाम जैसे दूसरे देशों की अधिकतर जनता हिन्दी बोलती है। भारत से सटे नेपाल की भी कुछ जनता हिन्दी बोलती है। आज हिन्दी राजभाषा, सम्पर्क भाषा, जनभाषा के सोपानों को पार कर विश्वभाषा बनने की ओर अग्रसर है।
हिन्दी भाषा प्रेम, मिलन और सौहार्द की भाषा है। यह मुख्यरूप से आर्यों और पारसियों की देन है। हिन्दी के ज्यादातर शब्द संस्कृत,अरबी और फारसी भाषा से लिए गए हैं। हिन्दी अपने आप में एक समर्थ भाषा है। प्रकृति से उदार ग्रहणशील,सहिष्णु और भारत की राष्ट्रीय चेतना की संवाहिका है हिन्दी।
हिन्दी,प्रेम , मिलन व सौहार्द की भाषा है-रीना सिंह
भारत सहित पूरे विश्व मे साठ करोड़ से अधिक लोग हिन्दी बोलते हैं
रवीश पाण्डेय
जन संघ सेवक मंच की राष्ट्रीय अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेत्री आयरन लेडी रीना सिंह ने आज हिन्दी दिवस पर एक प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि हिन्दी प्रेम,सौहार्द व मिलन की भाषा है।दुनिया मे सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में हिन्दी का दूसरा स्थान है।
विश्व की दूसरी सबसे बड़ी भाषा है हिन्दी। चीनी भाषा के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। भारत और अन्य देशों में 60 करोड़ से अधिक लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं।
इतना ही नहीं फ़िजी, मॉरीशस, गुयाना, सूरीनाम जैसे दूसरे देशों की अधिकतर जनता हिन्दी बोलती है। भारत से सटे नेपाल की भी कुछ जनता हिन्दी बोलती है। आज हिन्दी राजभाषा, सम्पर्क भाषा, जनभाषा के सोपानों को पार कर विश्वभाषा बनने की ओर अग्रसर है।
हिन्दी भाषा प्रेम, मिलन और सौहार्द की भाषा है। यह मुख्यरूप से आर्यों और पारसियों की देन है। हिन्दी के ज्यादातर शब्द संस्कृत,अरबी और फारसी भाषा से लिए गए हैं। हिन्दी अपने आप में एक समर्थ भाषा है। प्रकृति से उदार ग्रहणशील,सहिष्णु और भारत की राष्ट्रीय चेतना की संवाहिका है हिन्दी।