श्रीनगर:पौड़ी के विज्ञान -गणित शिक्षकों ने सीखे शिक्षण के नवाचारी आयाम

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पौड़ी के विज्ञान -गणित शिक्षकों ने सीखे शिक्षण के नवाचारी आयाम

जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान चड़ीगांव पौड़ी गढ़वाल में आइसर पुणे की संस्था आइराइज के द्वारा जनपद पौड़ी गढ़वाल के 62 गणित- विज्ञान के शिक्षकों की तीन दिवसीय कार्यशाला आज दिनांक 13 सितंबर 24 को समाप्त हुई। कार्यशाला में जनपद के सुदूरवर्ती विद्यालयों से आए हुए शिक्षकों ने तीन दिवसीय कार्यशाला में बढ़ चढ़कर प्रतिभाग किया। आईजर पुणे की संस्था आइराइज ने शिक्षकों को लो- कौस्ट मटेरियल तैयार कर छात्रों में विज्ञान- गणित नवाचारी तौर तरीकों से परिचित कराया। कार्यक्रम समन्वयक डॉक्टर नारायण प्रसाद उनियाल ने अवगत कराया कि आई राइज के द्वारा जनपद के सात शिक्षकों श्री कुंज बिहारी सकलानी, श्री अंशुल डोभाल, श्रीमती लता शर्मा, श्रीमती रश्मि उनियाल, श्री दीपक बिष्ट, श्रीमती कविता बिष्ट और श्रीमती अनीता पंवार को इन्नोवेटिव चैंपियन के रूप में तैयार किया गया है। इन इन्नोवेटिव चैंपियन के द्वारा जनपद के इस सत्र में 180 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
इसी कारण में दिनांक 11 सितंबर से 13 सितंबर तक जनपद के 62 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया इस कार्यशाला में आए राय संस्था से श्री अक्षत एवं श्री भगत उपस्थित रहे। डाइट के प्राचार्य श्री स्वराज सिंह तोमर ने कहा कि इस प्रकार के प्रशिक्षणों से जहां शिक्षकों का शैक्षिक संवर्धन होता है वहीं छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण उत्पन्न करने के लिए बहुत उपयोगी है। वर्तमान समय विज्ञान और तकनीकी का है इसलिए हमें यदि प्रधानमंत्री जी के विजन को साकार करना है तो विद्यालय शिक्षा से ही छात्रों को विज्ञान तकनीकी ज्ञान देकर के आगे बढ़ना होगा।
कार्यक्रम समन्वयक डॉक्टर नारायण प्रसाद उनियाल ने शिक्षकों के व्यावसायिक दृष्टिकोण के लिए इस प्रकार के कार्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आइराइज संस्था ने संपूर्ण उत्तराखंड के विद्यालयों में विज्ञान के प्रति साइंस, तकनीकी, गणित और इंजीनियरिंग में छात्रों की कौशल विकास के लिए जो बीड़ा उठाया है उसमें हम सभी का प्रमुख योगदान है कि हम इसे प्रकार के प्रशिक्षणों को कक्षा तक ले जाएं जिससे छात्रों को लाभ मिल सके। राजकीय अटल उत्कर्ष इंटर कॉलेज ओजली की शिक्षिका गीतिका भट्ट ने कार्यक्रम की उपयोगिता के विषय में अपने विचार रखते हुए कहा कि उनके जीवन में इस प्रकार का प्रशिक्षण पहली बार हुआ है। इस प्रकार की कार्यशालाएं शिक्षक और छात्र के लिए बहुत उपयोगी होती है।
कार्यशाला में डॉक्टर जगमोहन पुंडीर, श्री विनय कीमोठी, डॉ महावीर सिंह कलेठा, श्री नरेंद्र सिंह बिष्ट आदि शिक्षक उपस्थित रहे।

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