Wednesday, October 9, 2024
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श्री गोपाल गौलोक धाम सेवा संस्थान के तत्वावधान मे पांच दिवसीय श्री राम कथा धेनुमानस गौ टीका के चर्तुथ दिन महाराज गोपालमणि जी ने गौ टीका बारे मे विस्तार से बताया ।

श्री गोपाल गौलोक धाम सेवा संस्थान के तत्वावधान मे पांच दिवसीय श्री राम कथा धेनुमानस गौ टीका के चर्तुथ दिन महाराज गोपालमणि जी ने गौ टीका बारे मे विस्तार से बताया ।
दीपक वेडिंग प्वाइंट मे आयोजित गौ टीका की अमृतमयी कथा श्रवण कराते हुए गौ क्रांति अग्रदूत गोपाल मणि जी महाराज जी ने कथा प्रंसग मे कहा कि जितने भी हमारे धर्मग्रन्थ है वै सब गौ के दर्शन करवाते है। हनुमान चालीसा से लेकर वेद पुराणो तक तभी सिद्ध होते है जब गौ माता तुम्हारी गवाही दे जिस दिन गौ माता को राष्ट्र माता का सम्मान प्रतिष्ठा मिल जायेगी उसी दिन हमारा हनुमान चालीसा सिद्ध हो जायेगी ।


उन्होंने कहा कि हमारी सनातनी संस्कृति को मिटाने के लिए मुगल, अंग्रेज, किरात आदि असुर आये परन्तु सनातन धर्म को खत्म नही कर पाए । सनातन धर्म अरबो करोड़ो वर्ष पुराना है इसको कोई नही मिटा सकता ।इसी धरती पर ऐसे तपस्वी है जिनकी तपस्या के बल पर सनातन स्थिर है । अपने अडिग सिद्धांत पर खरा उतरे इसीलिये तो सनातन धर्म की जड़ गौ माता है ।
उन्होंने कहा कि गाय को खूंटे और अपने बच्चो से बहुत प्रेम होता है आज गौ की हत्या तो सबसे पहले हो रही है कि हम गाय को पशु मान रहे है जबकि हमारे शास्त्र पुराण वेद उपनिषद सब कह रहै है कि “पशवो न गाव” याने गाय पशु नही है जिन लोगो की पशु बुद्धि हो गई है वही गाय को पशु समझते है ।
गौ माता मे इतनी खुबिया है कि स्वंय भगवान राम गौ रक्षा के लिए इस धरा धाम पर अवतरित हुए,श्री कृष्ण ने इस धरती पर गौ बर्द्धन का कार्य किया और भोलेनाथ तो बृषभध्वज याने गौ माता नंदी का झण्डा लेकर प्रचार करते है।


कथा मे बड़ी संख्या मे पुरूष व महिलाये शामिल हुई ।
कथा को संगीत मयी बनाने मे पं• कुलानन्द क्वालिटी, पं•आशीष सेमवाल, पं• महावीर खण्डूरी, पं•प्रकाश गौड़ ,पं•इन्द्रमणि ने कथा को रसमयी बनाने मे संगत देकर अपूर्व सहयोग प्रदान किया ।
इस अवसर पर गोपाल कृष्ण अग्रवाल, महावीर सिंह रावत, राजेन्द्र जखमोला, कैलाश चन्द्र अग्रवाल, जसपाल सिंह रावत, गिरीश जखमोला, राजेंद्र पुरोहित, अनुसूया मुंडेपी सर्वेश्वरी किमोठी ,आशा विंजौला, गीता बुड़ाकोटी, बृजपाल राजपूत, दीनानाथ भाटिया ,पी अग्रवाल,विजय कुमार माहेश्वरी, कान्ता प्रसाद, गोपाल बंसल इत्यादि बड़ी संख्या में पुरूष व महिलाये शामिल हुए।

          
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