Wednesday, October 9, 2024
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पूर्व सैनिक संघर्ष समिति ने अध्यक्ष महेन्द्र पाल सिंह रावत की अध्यक्षता में प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर प्रदेश में मूल निवास तथा सख्त भू कानून लागू करने की मांग की।।।।।।। **********अलग खबर डाटकाम**उत्तराखंड का लोकप्रिय हिंदी वेब चैनल

कोटद्वार तथा सीमांत प्रदेश उत्तराखण्ड की सुरक्षा तथा भविष्य में देश की सुरक्षा के मद्देनजर उत्तराखण्ड प्रदेश में मूल निवास तथा सख्त भू कानून बनाने की मांग को लेकर पूर्व सैनिक संघर्ष समिति के अध्यक्ष महेन्द्र पाल सिंह रावत कहते हैं कि हमारे उत्तराखण्ड प्रदेश की सीमाओं पर दुश्मन देश की नजरें ना पड़े घुसपैठिये छद्म नाम से यहाँ के निवासी ना बन जायें तथा यहाँ जमीन खरीद फरोख्त करने ना लग जायें इसके लिए हमारे उत्तराखण्ड प्रदेश में सख्त भू कानून तथा मूल निवासी होने की प्रक्रिया को जटिल बनाया जाये। जिससे कि इस संवेदनशील सीमान्त प्रदेश की डेमोग्राफी परिवर्तित ना हो तथा भविष्य में देश की सीमायें सुरक्षित रहें तथा यह तभी सम्भव है जब उत्तराखण्ड में मूल निवास प्रदान करने की प्रक्रिया जटिल हो तथा सख्त भू कानून लागू हो।।।।। महेन्द्र पाल सिंह रावत अध्यक्ष पूर्व सैनिक संघर्ष समिति।।।।।।

सेवा में
श्रीमान पुष्कर सिंह धामी जी
मुख्यमंत्री
उत्तराखंड सरकार

विषय : प्रदेश में मूल निवास और सख्त भू कानून की मांग

महोदय,

  1. सविनय निवेदन है कि उत्तराखंड राज्य के निवासियों के हितों की सुरक्षा और राज्य की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए, पूर्व सैनिक संघर्ष समिति कोटद्वार आपसे अनुरोध करती हैं कि प्रदेश में सख्त मूलनिवास और भू कानून लागू किए जाएं। क्योंकि सख्त भू कानून और मूल निवास के न होने के कारण प्रदेश की जनसंख्या की डेमोग्राफी बदल रही है, जो प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत के लिए शुभ संकेत नहीं है। बाहरी तत्वों द्वारा भूमि का दोहन और स्थानीय लोगों के अधिकारों का हनन हो रहा है, जिससे प्रदेश की मूल संस्कृति और परंपराओं को खतरा है। इसके साथ साथ प्रदेश के लोगों की नौकरियों पर बाहरी लोगों द्वारा डाका डाला जा रहा है, जिससे स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसरों से वंचित किया जा रहा है। यह प्रदेश के विकास और स्थानीय लोगों के भविष्य के लिए खतरनाक है।
  1. मूल निवास और भू कानून के तहत निम्नलिखित बातों पर ध्यान दिया जाना चाहिए:
  • मूल निवासी की परिभाषा में स्पष्टता होनी चाहिए, जैसे कि कौन से क्षेत्रों में रहने वाले लोग मूल निवासी माने जाएंगे। इसके लिए इसको 1950 को आधार वर्ष होना चाहिए।
  • भूमि के अधिग्रहण में स्थानीय लोगों की सहमति अनिवार्य होनी चाहिए, ताकि बाहरी तत्वों द्वारा भूमि का दोहन न हो।
  • मूल निवासियों को उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए प्रभावी तंत्र होना चाहिए, जैसे कि मूल निवासी आयोग का गठन।
  • भू कानून के तहत भूमि के उपयोग की सीमाएं निर्धारित होनी चाहिए, जैसे कि कितनी भूमि एक व्यक्ति या संगठन के नाम पर हो सकती है।
  • मूल निवासियों को उनकी भूमि के अधिकारों की सुरक्षा के लिए प्रभावी तंत्र होना चाहिए, जैसे कि भूमि के दोहन पर प्रतिबंध।
  1. विशेष रूप से, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी जी और नारायण दत्त तिवारी जी ने सख्त भू कानून के लिए जमीन खरीद की सीमा निर्धारित की थी, जिसकी सीमा को राजनीतिक भू माफिया के दबाव में राज्य सरकार के द्वारा खत्म कर दिया गया है। इस कदम से प्रदेश में भूमाफिया के द्वारा भू खरीद फरोख्त को बढ़ावा मिला है, जो स्थानीय लोगों के हितों के विरुद्ध है।
  2. अतः आपसे अनुरोध है कि सख्त मूलनिवास और भू कानून लागू करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं और जमीन खरीद की सीमा को फिर से निर्धारित किया जाए। जय हिंद, धन्यवाद

महिंद्र पाल सिंह रावत
अध्यक्ष पूर्व सैनिक संघर्ष समिति कोटद्वार।
एवं समस्त कार्यकारणी

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https://youtu.be/0XM2abgRdng?si=BryXyhxhquCQF5tE

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