कोटद्वार: भ्रष्टाचार और उपेक्षा के चलते बदहाली की भेंट चढ़ा पर्यटन उद्योग को पंख देने वाली टाइगर सफारी।। पर्यटन उद्योग को बढावा देने के लिए सरकार ले सुध-महेन्द्र पाल सिंह रावत। अध्यक्ष पूर्व सैनिक संघर्ष समिति।।।

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गढ़वाल का प्रवेश द्वार कोटद्वार जो उत्तराखण्ड आंदोलन सहित विभिन्न आंदोलनों की पोषक भूमि रही आज विकास और पर्यटन से रोजगार का माडल बनता लेकिन भ्रष्टाचार तथा राजनीतिक इच्छा शक्ति के अभाव ने कोटद्वार को विकास और पर्यटन की अपार संभावनाओं का द्वार होते हुए भी बदहाली की भेंट चढ़ा दिया। लगभग डेढ़ लाख की आबादी को छू रहे थोपे गये नगर निगम में एक भी पार्किंग नही, है। गढ़वाल सहित सीमावर्ती बिजनौर जिले को भी बेहतर चिकित्सा सुविधाओं से युक्त एक स्तरीय अस्पताल के लिए संघर्ष कर रही पूर्व सैनिक संघर्ष समिति द्वारा विगत दिनों हजारों पूर्व सैनिकों की स्वतः स्फूर्त विशाल रैली ने जहाँ सरकार की निद्रा तोड़ दी साथ ही उत्तराखण्ड आंदोलन की याद ताजा कर दी
पूर्व सैनिक संघर्ष समिति के ऊर्जावान अध्यक्ष महेंद्र पाल सिंह रावत के नेतृत्व में पूर्व सैनिक संघर्ष समिति ने कोटद्वार की दिशा तथा दशा बदलने के लिए संघर्ष का मार्ग चुना है जिसके कारण आज फिजा भी बदलती नजर आ रही है।। पूर्व सैनिक संघर्ष समिति ने कोटद्वार को देश और दुनिया भर में पर्यटन मानचित्र पर उतारने के लिए कार्बेट टाइगर रिजर्व के पाखरौ गेट और वहाँ निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार और बदहाली को मुद्दा बनाने का निर्णय लिया है। ।
अलग खबर डाटकाम।
कोटद्वार नगर वर्तमान मे उपेक्षा के चलते विकास की दौड़ में बहुत पिछड़ गया है।दुनिया भर के पर्यटक कोटद्वार के रास्ते विश्व प्रसिद्ध कार्बेट नेशनल पार्क में पाखरो गेट से प्रवेश करते बदहाली की कगार पर खड़े होटल उद्योग को कमाई के अवसर मिलते स्थानीय युवाओं को पर्यटन उद्योग से जोड़कर पर्यटकों को आकर्षित करके रोजगार के बेहतरीन अवसर बनने थे लेकिन राजनीतिक इच्छा शक्ति का अभाव तथा भ्रष्टाचार ने इस बहुआयामी योजना का बंटाधार लगा दिया। महेंद्र पाल सिंह रावत। अध्यक्ष पूर्व सैनिक संघर्ष समिति कोटद्वार।

पूर्व सैनिक संघर्ष समिति का कहना है कि राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी के कारण आज टाइगर प्रोजेक्ट पाखरो कोटद्वार में बनाए जा रहे बाड़ों की स्थिति चिंताजनक है, जो सरकारी अनियमितताओं और लापरवाही के कारण बर्बादी के कगार पर पहुंच गई है। इस परियोजना का संचालन समय पर नहीं होने से न केवल सरकारी पैसे की बर्बादी हुई है, बल्कि कोटद्वार के पर्यटन और उससे जुड़े होटल व्यवसाय, तथा उससे जुड़े व्यवसायों को भी नुकसान पहुंचा है। जहा इस योजना के पूर्ण होने पर कोटद्वार में पर्यटन की संभावनाओं को पंख लगने थे, लेकिन यह बहुआयामी योजना भ्रष्टाचार की भेट चढ़ता गया है

पूर्व सैनिक संघर्ष समिति कोटद्वार मांग करती है कि उत्तराखंड सरकार इस परियोजना के संचालन के लिए तुरंत कदम उठाए। सरकार को इस परियोजना के लिए एक प्रभावी योजना बनानी चाहिए और इसके संचालन के लिए आवश्यक संसाधनों का आवंटन करना चाहिए। इसके अलावा, सरकार को परियोजना की निगरानी और मूल्यांकन के लिए एक समिति का गठन करना चाहिए ताकि इसके संचालन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।

इस परियोजना के संचालन से कोटद्वार के पर्यटन और व्यवसाय को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे और क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। इसके अलावा, यह परियोजना क्षेत्र की जैव विविधता और प्राकृतिक सौंदर्य को भी संरक्षित करने में मदद करेगी।

अतः समिति सरकार से इस परियोजना के संचालन के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिए और इसके लिए आवश्यक संसाधनों का आवंटन करना चाहिए ताकि इसका लाभ स्थानीय लोगों और क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को मिल सके। इसके अलावा पूर्व सैनिक संघर्ष समिति, कोटद्वार उत्तराखंड सरकार से परियोजना की अनियमितओ की जांच की भी मांग करती है। पूर्व सैनिक संघर्ष समिति का कहना है कि

  • परियोजना की स्थिति चिंताजनक है और सरकारी अनियमितताओं और लापरवाही जांच होनी चाहिए
  • परियोजना का संचालन समय पर नहीं होने से सरकारी पैसे की बर्बादी हुई है और कोटद्वार के पर्यटन और व्यवसाय को नुकसान पहुंचा है।
  • परियोजना की निगरानी और मूल्यांकन के लिए एक समिति का गठन करना चाहिए ताकि इसके संचालन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।

महेंद्र पाल सिंह रावत।
अध्यक्ष एवं पूर्व सैनिक संघर्ष समिति। कोटद्वार

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