रिखणीखाल : गुलदार के हमलों से सहमे हुए हैं लोग मनुष्यों के साथ पशुओं पर कर रहा हमले: रिखणीखाल विकास खण्ड के विभिन्न गाँव आदकल आदमखोर तथा पशुओं का शिकार कर रहे गुलदार के भय से प्रभावित हैं।। अलग खबर डाटकाम।।। विदित हो कि पडियारापानी के बाद कोट रिखणीखाल में बाघ दूसरी बार मानव भक्षण कर चुका है। इसके साथ ही विभिन्न गाँव इसके प्रभाव में हैं जहाँ यह कुत्तों के साथ पालतू मवेशियों को शिकार बना रहा है। इसी तरह का मामला घेड़ी ढाबखाल में भी हुआ जहाँ गुलु ने ग्रामीण नंदन सिंह बिष्ट की गौशाला में धावा बोला तथा एक बकरी का पैर तथा मांस नोचकर भाग गया। विषम भौगोलिक परिस्थितियों में पहाड़ में रह रहे लोगों के सामने गुलदार के हमले बड़ा संकट बन गया है। लोगों का कहना है कि एक और देहरादून के वातानुकूलित कक्षों में बैठे कर तथाकथित पर्यावरण प्रेमी तथा तथाकथित पहाड़ हितैषी रिवर्स पलायन की बात करते हैं लेकिन उन्हें गुलदार के हमले तथा ग्रामीण किन परिस्थितियों में जीवन गुजार रहे हैं यह नही दिखता। वहीं बुजुर्ग लोगों का कहना है कि इन क्षेत्रों में गुलदार की संख्या में बेतहाशा बढोत्तरी पर वे हैरान हैं हमने अपने जीवन काल में पहाडों पर गुलदार नही देखे यदाकदा बाघ पशुओं पर तो हमले करता था लेकिन मानव भक्षी नही था। ग्रामीण आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि ये गुलदार कहीं पहाडों में छोड़ तो नही दिए गये हैं। पलायन की पीड़ा से ग्रस्त पहाडों में कुछ लोग आज भी अपने पहाड़ प्रेम के चलते टिके हैं लेकिन परिवार तथा बच्चों की सुरक्षा की चिंता में वह कब तक रुक पायेंगे कहा नही जा सकता। या तो पहाड़ मानव मुक्त होंगे या सरकार पहाड़ों को गुलदार मुक्त कर पर्वतीय जनमानस को भय मुक्त करे श्याम सिंह कहते हैं।।।।
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