लोकपर्व फूलदेई मनाया गया रा०प्रा०वि० चोपड़ा मल्ला में।
विकास क्षेत्र यमकेश्वर के रा०प्रा०वि० चोपड़ा मल्ला में एक महीने तक चलने वाला उत्तराखंड का प्रसिद्ध लोकपर्व फूलदेई का त्यौहार बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया नया। जिसमें छात्र, छात्राओं और ग्रामीणों ने एक महीने से बढ़,चढ़कर प्रतिभाग किया। विद्यालय के प्रधानाध्यापक सुधीर डोबरियाल द्वारा सभी छात्र, छात्राओं, अभिभावकों, ग्रामीणों को उत्तराखंड के लोकपर्व फूलदेई के बारे में बताया कि फूलदेई 15 मार्च, चैत्र मास की संक्रांति से 14 अप्रैल तक एक महीने तक चलने वाला उत्तराखंड का लोकपर्व के रूप में मनाया जाने वाला त्यौहार है। दरअसल हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास ही हिंदू नववर्ष का पहला महीना होता है, इस लोकपर्व में आपको खासतौर से छोटे, छोटे बच्चे नजर आते हैं. इस त्यौहार को “फूल संक्राति” के नाम से भी जाना जाता है। यह बसंत ऋतु के आगमन का और प्रकृति से जुड़ा हुआ त्यौहार है।
सभी बच्चे इस त्यौहार के आने का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं, और इस दिन काफी उत्साहित भी रहते हैं। इस चैत्र महीने के प्रारम्भ होते ही तरह, तरह के फूल खिलने लग जाते हैं। इसमें जंगली फूलों में प्योली/फ्यूंली, बुरांस, बासिंग, हिसर, बुरांस,काफल, आदि शामिल हैं। जंगली फूलों के अलावा आडू, खुबानी, पुलम, के फूलों का भी अपना महत्त्व है। एक महीने तक बच्चे प्रातः उठकर फूल चुनकर लाते है और घर की देहरी (चौखट) पर डालते है। इसके लिए यह गीत भी गाते है, फूलदेई छम्मा देई दैणी द्वार भर भकार। यानी यह देहरी फूलों से सजी रहे और घर खुशियों से भरा रहे। सबकी रक्षा हो अन्न के भंडार हमेशा भरे रहें।
फूलदेई पर्व को मनाने में विद्यालय के प्रधानाध्यापक सुधीर डोबरियाल समस्त छात्र, छात्राओं, अभिभावकों सहित विद्यालय प्रबंधन समिति के सम्मानित सद्स्यों का बड़ा योगदान रहा, जिसमे श्री मनोहर सिंह, श्रीमती शीला देवी, श्रीमती कान्ति देवी, श्रीमती कृष्णा देवी, श्रीमती रजनी देवी, श्रीमती गीता देवी, श्रीमती धूपा देवी, श्रीमती रेशमा देवी, श्रीमती संतोषी देवी, श्रीमती गीता देवी, श्रीमती यशोदा देवी के अलावा भोजन माता श्रीमती कांति देवी,श्रीमती शीला देवी आंगनबाड़ी कार्यकत्री तथा सहायक अध्यापक धर्मेंद्र सिंह की अहम भूमिका रही।
विद्यालय के सभी छात्र, छात्राओं से धाद संस्था द्वारा भेजी गई ड्राइंग शीट्स में चित्र बनवाए गए, और अंत में सभी को मिष्ठान वितरण किया गया।


