Thursday, November 30, 2023
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समाजिक सरोकारों से ओत प्रोत व्यक्तित्व : नागेन्द्र सिंह नेगी।।। अलग खबर डाटकाॅम-

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

श्री नागेंद्र सिंह नेगी जी (ग्राम बड़खेत तल्ला) का पिछले कई वर्षो से क्षेत्र के अनेकों धार्मिक स्थलों के संरक्षण और संवर्धन में अग्रणी योगदान रहा हैं. क्षेत्र के अनेकों मंदिरों की स्थापना और जीर्णोद्धार कार्यो में भी श्री नेगी जी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं. इसके अलावा तमाम धार्मिक, सामजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक शैक्षिक एवं क्षेत्र के अनगिनत विकास कार्यों से जुडी राजनीति में भी श्री नागेंद्र सिंह नेगी जी की पूरे रिखणीखाल ब्लॉक में उच्च प्रतिष्ठा रही हैं. क्षेत्र का हर कोई आदमी श्री नेगी जी को उनके पिछले लम्बे श्रद्धास्पद, उच्च सम्मानित सामाजिक और राजनैतिक जीवन, उनके बेहतरीन गत्यात्मक ब्यक्तित्व की वजह से दिल से सम्मान देता हैं और नेगी जी का नाम लेकर स्वयं को गौरवान्वित भी महसूस करता हैं. भविष्य में अगर श्री नागेंद्र सिंह नेगी जी हमारे क्षेत्र के विधायक भी बन जाते हैं तो उनके लिए यह बहुत बड़ी सफलता भी नहीं माना जायेगा और क्षेत्र के लिए अच्छे दिनों की सुरुवात कह सकते हैं. वर्तमान में भी श्री नेगी जी का अपने आप में किसी एक विधायक से कही अधिक उच्च स्थान हैं.

दिव्य धाम टाण्डा महादेव मंदिर का जीर्णोद्धार हो या फिर हनुमान मंदिर सौलीखांन्द का जीर्णोद्धार, श्री नेगी जी ने इन दोनों मंदिरों को आप सभी लोगो के सहयोग से, एक छोटे से मंदिर से रूपांतरित करके आज बहुत ही विशाल स्वरुप दे दिया हैं. आज देश-दुनिया में इन दोनों मंदिरों को लोग जानते हैं और दूर-दूर से श्रद्धालु मंदिर दर्शन करने भी आते हैं. पिछले सप्ताह ही श्री नेगी जी के कुशल संचालन में हनुमान मंदिर सौलीखांन्द में श्रीमद्भागवत महापुराण का विशाल आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न करवाया गया, जिसमें असंख्य भक्तों ने धार्मिक लाभ प्राप्त किया.

श्री नागेंद्र सिंह नेगी जी ने दिव्य धाम टाण्डा महादेव मंदिर को स्व. श्री महेश शास्त्री जी (ग्राम जुकणियाँ) की प्रेरणा से एक भव्य स्वरुप में तैयार करवाया। टाण्डा महादेव मंदिर जीर्णोद्धार कार्य के दौरान सन 2021-2022 में श्री नेगी जी दिन-रात, हर रोज लगातार मंदिर में अकेले खड़े होकर काम करवाते रहे और मंदिर को स्व. श्री महेश शास्त्री जी के प्लान से भी कही और बड़े स्वरुप में तैयार करके ही सांस ली.

एक बात एकदम सत्य हैं कि अगर टाण्डा महादेव मंदिर जीर्णोद्धार कार्य को श्री नागेंद्र सिंह नेगी जी स्वयं नहीं करवाते तो मंदिर इतने भव्य स्वरुप में बन पाना असंभव था. क्षेत्र में नेगी जी के अलावा एक भी आदमी ऐसा नहीं हैं जो कि अपना इतना लम्बा समय, तन, मन और धन टाण्डा महादेव मंदिर जीर्णोद्धार कार्य में लगा दे. आप और हम सभी क्षेत्रीय लोगो और दूर दराज से अनेको शिव भक्तों ने मिलकर टाण्डा महादेव मंदिर जीर्णोद्धार कार्य के लिए धन इकट्ठा करके श्री नेगी जी का पूरा साथ दिया लेकिन उन्होंने अपने लंबा कीमती समय दिया, जो किसी के भी बस की बात नहीं हैं.

मंदिर-धर्मशाला कितना भी बड़ा बन जाए लेकिन अगर नित्य देख-रेख के लिए श्री नागेंद्र सिंह नेगी जी के जैसा आदमी मंदिर की निगरानी में तत्पर नहीं होगा तो भी कोई फायदा नहीं। आपने देखा होगा जब भी मंदिर मार्ग अवरुद्ध हो जाता हैं, मंदिर की बिजली ख़राब हो जाती हैं, धार्मिक अवसरों पर मंदिर में किसी प्रकार की पूजा का आयोजन करवाना होता हैं, मंदिर में किसी भी प्रकार की मरम्मत कार्य करवाना होता हैं, यहाँ तक कि मंदिर में शाम के समय बिजली बल्ब को ऑन करने और सुबह बिजली बल्ब को ऑफ करने के लिए भी स्थानीय जनता में से एक भी आदमी आगे नहीं आता हैं. ये सभी कार्य करने के लिए श्री नागेंद्र सिंह नेगी जी को ग्राम बड़खेत तल्ला से टाण्डा महादेव मंदिर अपनी कार से पहुंचना पड़ता हैं.

हम सभी का दायित्व बनता हैं कि हम अपने धार्मिक स्थलों के संरक्षण और संवर्धन में अपना योगदान दे. सांस्कृतिक धरोहर होते हैं हमारे धर्मस्थल, भौतिक कलाकृतियों और समाज की अमूर्त विशेषताओं की विरासत है जो पिछली पीढ़ियों से विरासत में मिली है, वर्तमान में बनी हुई है और भविष्य की पीढ़ियों के लाभ के लिये संरक्षित है। जिन इमारतों-प्रतीकों की पहचान किन्हीं जालिम शासकों की वजह से खो गई है आज उन्हीं को पहचान दिलाने के लिए सब साक्ष्य जुटा रहे हैं. मिलकर साथ चलने की जरुरत है. अलग-अलग धाराओं का एक ही गन्तव्य होता है, सनातन धर्म की सेवा करना हमारा भी एक मकसद होना चाहिए है.

किसी भी राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत, धार्मिक विरासत और उसका इतिहास, उसके वर्तमान और भविष्य की नींव होता है। जिस देश की सांस्कृतिक, धार्मिक विरासत और इतिहास जितना गौरवमयी होगा, वैश्विक स्तर पर उसका स्थान उतना ही ऊँचा माना जाएगा। वैसे तो बीता हुआ कल कभी वापस नहीं आता, लेकिन उस काल खंड में बने धार्मिक स्थल, इमारतें और लिखे गए साहित्य उन्हें हमेशा सजीव बनाए रखते हैं। विश्व विरासत के स्थल किसी भी राष्ट्र की सभ्यता और उसकी प्राचीन संस्कृति के महत्त्वपूर्ण परिचायक माने जाते हैं।

आप सभी को मेरी तरफ से हार्दिक सुभकामनाए आलेख- धीरेन्द्र सिंह रावत ग्राम खताखाल (चांदपुर)पोस्ट ऑफिस तिमलसैण।।

हर-हर महादेव
हर-घर महादेव
जय टाण्डा-महादेव

धीरेन्द्र सिंह रावत
ग्राम चाँदपुर (रिखणीखाल)

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