Thursday, November 30, 2023
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बफर जोन में अवस्थित तैड़िया गांव के विद्युतीकरण व आवागमन पैदल मार्ग चौड़ीकरण को केन्द्र सरकार देगी हरी झण्डी।

बफर जोन में अवस्थित तैड़िया गांव के विद्युतीकरण व आवागमन पैदल मार्ग चौड़ीकरण को केन्द्र सरकार देगी हरी झण्डी….

प्रखण्ड रिखणीखाल के अन्तिम गांव की कोटद्वार धुमाकोट मोटर मार्ग से पांच किलोमीटर पूरब की ओर घने जंगल में बसे आधुनिक युग की काली छाया रूपी विकास की आस में अभागे तैड़िया गांव की प्रतीक्षा खत्म होने का नाम नहीं ले रही,एक तरफ वन कानूनों की आड़ है तो दूसरी तरफ वन विभाग कहता है कि बफर जोन का मामला है । जबकि बफर जोन में अधिकांश अन्य गांवों में सारी सुविधायें पहुंच रही हैं लेकिन इस गांव में बिजली यातायात मार्ग, जच्चा बच्चा केंद्र, विद्यालय , हस्पताल आदि के लिए पांच से पन्द्रह किलोमीटर का सफर करना ही नियति बन गई है।इन सभी संगीन मुद्दों को लेकर वर्षों से पत्राचार, वार्तालाप, आदेश हुये तो वह आज तलक हाशिये पर ही रहे…!! भले ही गांव में खेती ना के बराबर हो गई लेकिन जानवरों से सुरक्षार्थ लोगों ने ऊंची बाड़ बनाकर प्याज लहसुन, धनिया,राई,मूली व जायद की फसलें बोना उगाना नहीं छोड़ा..!!धारा,झिरना कोठीरौ के विस्थापितों की तर्ज़ पर तैड़िया व पाण्ड गांव को भी विस्थापन का झुनझुना वर्ष 1999 से शासन के साथ वनविभाग का मखौल भी भोली ग्रामीण जनता को सालता रह गया।आज आलम यह है कि ग्रामीणों को पंचायत स्तर से लेकर उच्च राजनैतिक स्तर तक कोई लाभ मिलना ऊंट के मुंह में जीरा सा साबित रहा। वही बहाना सभी की जुबां का कसीदा रहा कि गांव कॉर्बेट नेशनल पार्क में है और विस्थापन में है, लेकिन मानो तो तीन दशकों से यह जख्म भीषण अवसाद का रूप ले चुका है। यद्यपि शासन, विभाग व सरकारों के बीच हुई वार्ताओं के दौर ने वर्ष 2006से 2018तक रामनगर काशीपुर,आमपोखरा,हाथीडंगर,नेपाफार्म,हल्दुवा, किलावली, दुर्गापुर,जसपुर,तुमड़िया रिवाइंस में बसाने के दिवास्वप्न जरूर दिखाये लेकिन हकीकत में उन्हें गांव खाली होने का इन्तजार रहा।ताकि गांव वीरान होने पर स्वत: ही वन्य जानवरों के अनुरूप हो जायेगा जैसे तैड़िया पाण्ड गांवों के निकटवर्ती स्थल बंजर सम चौड़्यूं,लिम्बाबाड़ी,लोहाचौड़,नागरौ सोत,तैड्याला,बयाऴा, पालपुर,उमराचौड़,क्वीरखाल,मनोरीगांव आदि कालकवलित हो गये हैं। लेकिन वर्ष 2018के बाद ग्रामीणों ने गांव की मूलभूत आवश्यकताओं के मध्येनजर सरकारों से पत्राचार कर कार्रवाई सुनिश्चित की। वर्तमान क्षेत्र पंचायत सदस्य कर्तिया बिनीता ध्यानी द्वारा निरन्तर गांव में 40परिवारों हेतु सोलर पैनल की मांग पीएमओ व सूचना आयुक्त के सहयोग व विद्युत विभाग से सुनिश्चित कराई,जो कि अब बदहाल हो चुके हैं।यही नहीं विगत 2021में वन क्षेत्राधिकारी मैदावन व लोनिवि दुगड्डा के सहायक अभियंता व सर्वेयर द्वारा तैड़ियाखाल से तैड़िया गांव व ख्यूणीख्यात वन चौकी तक मार्ग का सर्वेक्षण कराया। समय समय पर वनमार्गों का सफाईकरण,झाड़ी कटान फायर लाइनों की नियमित सफाई आदि हेतु भी सम्बन्धित निदेशक,डीएफओ से समाधान कराया जाना अभीष्ट रहा है। लेकिन कुछ ही समयान्तराल में वनविभाग में हुये अनियंत्रित व अनियमित कार्यों की वजह से एनटीसीए द्वारा पार्क क्षेत्र से लगे भूभाग पर ग्रहण लगा दिया। जिसका खामियाजा भी अकेले तैड़िया को ही भुगतना पड़ रहा है। उत्तराखंड सरकार के मुख्यमंत्री ,वन मंत्री, क्षेत्रीय विधायक, लोनिवि, पर्यटन मंत्री,सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, केंद्रीय वन मंत्री,मानव संसाधन विकास मंत्रालय, प्रधानमन्त्री, पीएमओ के सचिव आईएएस अधिकारी मंगेश घिल्डियाल, राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी,लोकसभा सांसद तीरथ सिंह रावत को भेजे पत्र में अपने गांव की पीड़ा को दूर करने का सार्थक प्रयास बिनीता ध्यानी का कहां वो कब तक रंग जमायेगा भविष्य के गर्भ में है। विद्युत विभाग के उच्चाधिकारियों का कहना है कि विभागीय प्रस्ताव को राज्य सरकार कैबिनेट से पास कर केंद्र को प्रेषित करेगी और संस्तुत्यानुरूप ही सम्भव होगा। क्षेत्र पंचायत सदस्य कर्तिया बिनीता ध्यानी ने राज्य सरकार, केंद्र सरकार से अपेक्षा जताई है कि सभी से दूरभाषीय वार्ताओं व व्यक्तिगत रूप से मुलाकात के आधार पर जरूर सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे तभी तैड़िया गांव तथा उसके नजदीक गांव पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकेंगे। नवनिर्मित श्री बद्रीनाथ जी धाम तैड़िया का भव्य मंदिर आस्था और विश्वास के साथ सभी ग्रामीणों की मनोकामना पूर्ण करेंगे। लगभग 56हेक्टेयर भूभाग में बसा तैड़िया गांव राजस्व ग्राम पूर्वजों के समय से धान, गेंहूं ,मण्डुवा,कौणी,सण ,भांग,झंगोरा,तिलहन, तम्बाकू, मिर्च,हल्दू पापड़ आदि की खेती को मशहूर रहा और खेती से सांठ-पैंछ कर बुजुर्गों ने अपने बच्चों को पढ़ाने व अपने खर्चे सीमित रखे। खेती के बड़े भाग नवाड़,ज्यठनों,उमराखोली,सकन्यूंमला,छछरण,बड्याछान्यूं,सिमलखेत,भैंसाडाबर,ल्वड़्या,कन्दरण,डाण्ड,ख्यूणीख्यात आज काली झाड़ी और कुरी से पहचान खोते जा रहे हैं वहीं वर्तमान व भाविष्यिक पीढ़ी को भी अपने गांव से रूबरू होने का सपना अधूरा ही रह जायेगा ऐसा प्रतीत होता है। गांव के विकास को समर्पित ग्राम विकास समिति तैड़िया अपने उद्देश्य को लेकर कृतसंकल्पित् है और अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से कोर व बफर जोन में अवस्थित गांवों का स्थैतिक निर्धारण करवाने हेतु शासन व सरकार से संघर्षरत् है।ताकि ठोस नीत्यानुकूल कॉर्बेट पार्क के पर्यटन में बने कोटद्वार से मैदावन- लोहाचौड़- दुर्गा देवी पर स्थित वतनवासा,कालिंको ,गौजेड़ा, तैड़ियाखाल ,मैदावन गेट प्रवेश द्वार के द्वारा इन गांवों में होमस्टे, पर्यटन के साथ स्थानीय रोजगार को बढ़ावा दिया जा सकेगा तो दिन बहुरेंगे.. ।

बिनीता ध्यानी।

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