राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस पर सर्वप्रथम वास्तविक पत्रकारों को हार्दिक शुभकामनायें , पत्रकारिता आज भी एक मिशन के रूप में अंधेरे को एक छोटे से दीपक की तरह ही सही हल्की सी रोशनी में आशा की किरण जगाये हुए है। निश्चित रूप से स्मार्ट मोबाइल के आने के बाद आज हर कोई पत्रकार बनकर घूम रहा है।
पत्रकारिता के लिए आज भी कोई मापदण्ड नही है।पांचवी पास से लेकर अपराधी तक स्वच्छंद पत्रकार बनकर घूम रहे है कुछ ने इसे वसूली का अड्डा बना दिया है तो कोई पत्रकारिता की आड़ में अपने नाजायज कार्यों को चला रहा है और पीत पत्रकारिता कहें या पत्रकारिता का संक्रमण काल लेकिन आज पत्रकारिता का स्वरूप बदल गया है।
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इसमें कुछ व्यावसाइयों या पैसे वालों की घुसपैठ ने पत्रकारिता के पवित्र व्यवसाय को एक व्यवसाय बना कर इसे पहले ही कठघरे मे खड़ा कर दिया था और आज पांच दस हजार के फोन ने सबको पत्रकार बना दिया है और इससे यह पवित्र मिशन का कार्य आज बेहद बुरे दौर से गुजर रहा है।
कुछ ब्लैक मेलर या यूं कहें वसूली ऐजेंट खुले आम पत्रकार बनकर सरकारी कार्यालयों से लेकर पुलिस थानों, तहसील कार्यालयों मे मंडराते नजर आते हैं और ये सड़क छाप पत्रकार और पत्ररकारिता को अपने व्यावसायिक हितों के लिए काम करने कुछ वाले पूंजीपति लगभग एक ही तराजू पर तोले जा सकते हैं क्योंकि छोटा हो या बड़ा दोनों का उद्देश्य एक ही है।यह तो रही पीत पत्रकारिता के चेहरे की लेकिन तस्वीर का एक और पहलू भी है और वह है निर्भीक निड़र लोकहित के लिए हुक्मरानों को जगाने का कार्य करने वाली पत्रकारिता के आज भी कई पत्रकार जनहित के लिए न्याय के लिए भ्रष्टाचार के खिलाफ राष्ट्रवाद का परचम लहराते निर्भीकता से आर्थिक संशाधनों के अभाव के बावजूद बहुत बेहतरीन ढंग से अपना काम कर रहे हैं।
चाहे आर्थिक अपराध हों, भ्रष्टाचार हो नशे के खिलाफ समाचार प्रकाशित करना हो , महिलाओं के विरुद्ध अपराध सरकारों को लोकहित के लिए जगाने का कार्य भी पत्रकार करते हैं। आज कई उदारहण हैं जहां इन निर्भीक पत्रकारों की खबरें एक लहर बनकर पूरे जनसमुदाय को आन्दोलित कर गई तथा सरकारें भी इसके चलते चेती हैं। आज भी ईमानदारी से आर्थिक अभावों के बावजूद पत्रकार और उनमें से छोटे शहरों और छोटे समाचार पत्र और न्यूज वेबसाइट के पत्रकारों ने बेहतरीन कार्य किये हैं और इन कुछ ईमानदार पत्रकारों की लेखनी का ही जलवि रहा कि कई बड़े आन्दोलन इनकी खबरों के चलते खड़े हुए।
आज पत्रकारों के सामने निश्चित रूप से चुनौतियां है औद्योगिक घरानों ने मोटा पैसा लगाकर मीड़िया हाउस स्थापित किये जिसका परिणाम पेड़ न्यूज के रूप मे आया फिर सरकारों के साथ पूर्व के लम्बें समय से ही इनकी जुगलबन्दी बनी और पत्रकारिता के उच्च मापदण्ड कहीं ना कहीं इससे प्रभावित हुए और आज कल हर कोई सड़क छाप पत्रकार की भूमिका में ईमानदार पत्रकारिता के आगे एक चिंताजनक पहलू की तरह आ खड़ा हुआ है हर व्यवसाय के लिए आपके पास योग्यता होनी चाहिए, समझ और ज्ञान होना चाहिए लेकिन पत्रकार बनने के लिए या पत्रकार की शैक्षिक योग्यता उसके चाल चरित्र को लेकर ना कोई प्रश्न पूछे जाते हैं ना उनपर कोई कार्यवाही होती है।
जिसके चलते पूरी पत्रकार बिरादरी सवालों के घेरे मे आ जाती है और अब समय आ गया है कि खुद को पत्रकार बताने वाले इन लोगों से भी प्रश्न पूछे जाने चाहिए कम से कम इनकी शैक्षिक योग्यता ही पूछ ली जाये।खैर पत्रकारिता जगत में आज भी कम ही सही निडर, ईमानदार कर्तव्यनिष्ठ पत्रकार हैं जिनके चलते यह पवित्र मिशन कार्य आज भी सम्मान के नजरिये से देखा जाता है पत्रकार और पत्रकारिता के लिए मापदण्ड तय कर दिए जायें तो यह दौर भी बदल सकता है। वास्तविक कलमकारों को राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें – अजय तिवाड़ी।