Kafal Uttarakhand: हमारे पहाड़ों पर रसीले काफल पकने वाले हैं, महज अप्रैल-मई में यह फल उपलब्ध होता है।मध्य हिमालय में बहुतायत में उगने वाले इस रसीले फल काफल ( Kafal ) (Myrica esculenta) का स्वाद भी बेहद अलहदा है।
काफल पाको – Kafal Uttarakhand
Kafal Uttarakhand. पहाड़ के लोक जीवन और आंचलिक कहानियों में जीवन संघर्ष व्यथाओं और मार्मिकता को काफल के फल से जोड़ा गया है,
काफल पाको मिल नी चाखो- गढ़वाली साहित्य के महापण्डित तथा सूरज कन्हैया लाल डंडरियाल जी की कालजयी रचना काफल को समर्पित
कन्हैया लाल डंडरियाल जी की कालजयी रचना “काफल” ( Kafal )

ले ल्या लेल्या जी महाराज काफल मेरा बड़ा रसीला,
काफल सप्त ऋषियूं ना खाया, बाल्मिकी आदि कवि ह्वाया,
काफल वेद व्यास ला खैना, महाभारत भागवत रचि देना,
काफल रस खै तुलसीदास लेखे राम चरित हरि लीला
लेल्या लेल्या जी महाराज काफल मेरा बड़ा रसीला।
आलेख और संकलन – अजय तिवाड़ी